Jul 30, 2010

खामोशियाँ

लहरों की तल्ह्टों में कहीं दबी हुयी सी

तूफानों के शोर में कहीं घुली हुयी सी

दुनिया की भाग दौड़ में कहीं मिली हुयी सी

खामोशियाँ गूंजने लगी हैं आजकल कुछ इस तरह

की अपनी आवाजें सुनना मुश्किल सा होने लगा है,


अँधेरे कोनों से पुकारती हुयी सी

गर्म सी साँसों को कंपाती हुयी सी

ठहरे ख्यालों को हिलाती हुयी सी

खामोशियाँ मचलने लगी हैं आजकल कुछ इस तरह

की अब भी कुछ कहना नामुमकिन सा हो गया है...